गरियाबंद- चॉइस सेंटर संचालकों के ऊपर भारी वित्तीय संकट

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जिला मुख्यालय के चॉइस सेंटर / लोक सेवा केन्द्रो की संचालकों द्धारा आज अपर कलेक्टर गरियाबंद श्री के.के.बेहार को लॉकडाउन के दौरान चॉइस सेंटर /लोक सेवा केन्द्रो की संचालन हेतु अनुमति बाबत आवेदन दिये गये और समस्याओं से अवगत कराया गया।
ज्ञात हो की विगत मार्च माह से कोविड -19 (कोरोना वॉयरस )के संक्रमण के चलते भारत सरकार के आदेशानुसार पुरे देश में 40 दिनों का लॉकडाउन लागु हैं। इस तालाबंदी में आम आदमी से लेकर बड़े उद्योगपति तक प्रभावित हैं।
चॉइस सेंटर संचालकों का कहना हैं, कि नोवेल कोरोना वॉयरस संक्रमण नियंत्रण हेतु घोषित लॉकडाउन में चिन्हित जिले हॉटस्पॉट जिले को छोड़ शेष में 20 अप्रैल 2020 से अतिरिक्त गतिविधियों की अनुमति बाबत आदेश में सभी चॉइस सेंटरों को खोलने की उम्मीद थी। लेकिन आदेश में ग्राम स्तर के चॉइस सेंटरो को संचालन की अनुमति दी गई ।

और यह भी एक विरोधाभास है की शहरी क्षेत्रों में शासकीय भवनों में संचालित चॉइस सेंटर या लोक सेवा केन्द्रो को संचालन हेतु अनुमति दी गई है। केवल निजी या किराये की दुकानों में संचालित सेंटरों को छोड़ दिया गया हैं। इस भेदभाव से चॉइस सेंटर संचालको में रोष है।
चॉइस सेंटर संचालकों के अनुसार लॉकडाउन में ज्यादा खर्चो में कमी नहीं आयी हैं ,क्यों की सेंटरों में काम करने वाले कम्प्यूटर ऑपरेटरो की पेमेंट, दुकानों के किराए, बैंकों की ईएमआई एवं स्वयं के घरेलु खर्चे यथावत हैं, जिसके कारण संचालकों को आर्थिक एवं मानसिक परेशानियों के सामना करना पड़ रहा हैं।
चॉइस सेंटर संचालकों की मांग भी उचित हैं ,आज पुरे देश में ई-गवर्नेस या डिजिटल क्रांति एवं आरोग्य सेतु ऐप को सफल बनाने में चॉइस सेंटरो की बहुत बड़ी भूमिका हैं ,चॉइस सेंटर ही इन संचालकों कि रोटी की साधन हैं।
सोशल डिस्टेंसिंग में ई-सर्विसेस कि योगदान बहुत अहम् हैं। शहरी क्षेत्रो में.चॉइस सेंटरो के अभाव में सोशल डिस्टेंसिंग व डिजिटल सेवा प्रभावित होने की अशंका बनी रहेंगी।