कोविड19 वायरस आज पूरी दुनिया में तबाही मचाया हुआ है और दुनिया भर में लॉक डाउन की स्थिति है। भारत में भी जान है तो जहान है कहकर सम्पूर्ण लॉक डाउन 14 अप्रैल तक के लिए किया गया है लेकिन हम कितना गंभीर है यह इसी बात से पता चलता है कि आज स्वास्थ्य अमला से ज्यादा पुलिस प्रशासन मुस्तैद है और नागरिकों के ऊपर डंडे चलाकर अनुशासित कर रहा है। बार बार कहने पर कि घर मे रहिए सुरक्षित रहिए बावजूद इसके हम घरों से निकल रहे हैं, झुण्ड में बैठ रहे हैं यहाँ तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में यह देखने को मिल रहा है कि लोग एकांत जगह में जाकर ताश पत्ती भी खेल रहे हैं। जो की अनुचित है।
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि विश्व स्वाथ्य संगठन ने हाल ही में दोबारा चेतावनी दिया है कि कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए केवल लॉक डाउन करना ही काफी नहीं है इसके लिए पहचान-जाँच-इलाज ही बचने का श्रेष्ठ तरीका है। उनका कहना है कि वायरस से निपटने के लिए शहरों और देश को लॉक डाउन करने से काम नहीं चलेगा बल्कि जन स्वास्थ्य के पर्याप्त कदम उठाते रहने होंगें, नहीं तो बीमारी फिर पनप सकती है। अगर हम अभी भी बीमार और संक्रमित व्यक्ति का पता कर उनका इलाज शुरू नहीं करते तो लॉक डाउन हटने की स्थिति में वायरस से जूझ रहे लोगों की संख्या अचानक से बढ़ सकती है।
तेजराम विद्रोही ने आगे कहा कि भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्देशों के अनुरूप कोरोना से सामना करने की तरीको का अभाव है। अभी भी प्रवासी मजदूरों या बाहर से आये हुए लोगों का पहचान सही तरीके से नहीं किया गया है। अब तक लॉक डाउन की स्थिति में ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत स्तर एवं शहरों में वार्ड स्तर पर पीड़ित व्यक्तियों की पहचान के लिए विशेष मुहिम चलाने की आवश्यकता है। साथ ही यह भी जरूरी है कि जो परिवार घर मे रह रहे हैं उनके लिए आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति के लिए कदम उठाया जाना चाहिए कि घर से बाहर निकले बिना ही उन्हें जरूरी वस्तुओं की व्यवस्था किया जा सके। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि ऐसे व्यक्ति जो बाहर से आया हुआ है और चिकित्सीय जाँच किया भी जा चुका है उन्हें अस्पतालों में आइसोलेट कर रखा जाये क्योंकि कुछ जगहों पर जानकारी मिली है कि बाहर से आये व्यक्ति का जाँच कर घर भेज दिया गया है और वे अपने परिवार के साथ हैं यह समझने की आवश्यकता है कि संक्रमित व्यक्ति का लक्षण जब तक पता चले तब तक परिवार के दूसरे व्यक्ति संक्रमित हो सकते हैं इसलिए विशेष सावधानी की आवश्यकता है।
दूसरी तरफ ऐसे नागरिक जो अब तक चौक चौराहे में बैठकर गप्पें मार रहे हैं उनसे अनुरोध है कि खुद घर में रहे और परिवार व अपने मुहल्ले को सुरक्षित रखने में मदद करें। न गांव से बाहर जाएं और न ही बाहर से किसी दूसरे व्यक्ति को गांव में आने दें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों का पालन करते हुए पहचान, जांच व इलाज को सुगम बनाएं। साथ ही शासन से अनुरोध है कि कृषि क्षेत्र से जुड़े किसानों एवं मजदूरों के लिए विशेष व्यवस्था बनाई जाए क्योंकि यह समय ग्रीष्मकालीन कृषि का है। किसानों ने अपना जमा पूँजी कृषि कार्यो धान, गेंहू, सब्जी आदि में लगाया है और मवेशी, खरपतवार व कीट प्रकोप से फसल नुकसान होने पर किसानों को आर्थिक नुकसान की भरपाई कर पाना बेहद कष्टप्रद होगी।
तेजराम विद्रोही
सचिव
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा