उद्धव ने कहा: शिवसेना अभी भी सरकार बनाने की स्थिति में है, राष्ट्रपति शासन से घबराने की जरूरत नही

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी सियासी घमासान जारी है। पहले मुंबई में राकांपा और कांग्रेस नेताओं के बीच करीब 45 मिनट बैठक हुई। इसके बाद मीडिया को संबोधित किया गया और बताया गया कि राकांपा और कांग्रेस आपस में बात करेंगे और फिर शिवसेना के साथ जाने या साथ लेने पर फैसला लिया जाएगा, अभी शिवसेना पर कोई बात नहीं हुई है। इसके ठीक बाद उद्धव ठाकरे ने मीडिया को संबोधित किया और कहा कि शिवसेना अभी भी सरकार बनाने की स्थिति में है और राष्ट्रपति शासन से घबराने की जरूरत नहीं है। उद्वव ने बताया कि शिवसेना ने राज्यपाल से 48 घंटों का समय मांगा था, लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि उन्होंने समय क्यों नहीं दिया। जैसे कांग्रेस और राकांपा राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं, शिवसेना भी सवाल पूछ रही है। उद्धव ने कहा, जिस दिन न्यूनतम साझा कार्यक्रम बन गया, उस दिन शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की सरकार बना जाएगी। अलग विचारधारा के दलों से बात कर रहे हैं, इसलिए वक्त की जरूरत है। अभी छह महीने का वक्त है। भाजपा को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्होंने बातचीत के रास्ते बंद किए हैं, इससे ठीक पहले राकांपा-कांग्रेस की बैठक के बाद शरद पवार के साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्किार्जुन खड़गे, वेणुगोपाल और अहमद पटेल की मौजूदगी में संयुक्त बयान जारी किया गया। प्रफुल्ल पटेल ने कहा, आज की बैठक में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई। सभी पक्षों के बीच आम सहमति बनाने के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। 11 नवंबर को शिवसेना ने एनसीपी से आधिकारिकतौर पर संपर्क साधा था। शरद पवार ने कहा कि पहले राकांपा और कांग्रेस अपनी रणनीति तय करेंगे, इसके बाद शिवसेना के समर्थन पर फैसला लिया जाएगा। हम नहीं चाहते कि महाराष्ट्र में दोबारा चुनाव हो। अभी तक शिवसेना से कोई बात नहीं हुई है। अहमद पटेल ने कहा कि जिस तरह से राज्यपाल और केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई है, हम इसकी आलोचना करते हैं। यह केंद्र सरकार की मनमानी है। यह लोकतंत्र और संविधान का मजाक है। कांग्रेस को सरकार बनाने का न्योता नहीं देना भी गलत है।
अहमद पटेल ने कहा कि शिवसेना से भी बात की जाएगी और उनकी अधिकृत मत जाना जाएगा। इसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। यूं तो राज्यपाल ने भाजपा और शिवसेना के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी शरद पवार की राकांपा को न्योता दिया था और समर्थन की चिट्ठी दिखाने के लिए मंगलवार रात 8.30 बजे तक का समय दिया था, लेकिन रापांका की ओर से दिन में करीब 11.30 बजे भेजी गई एक चिट्ठी ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन पर मुहर लगाने में अहम भूमिका निभाई। राकांपा ने इस चिट्ठी में लिखा था कि उसके पास अभी संख्याबल नहीं है, जिसे जुटाने के लिए और समय दिया जाए। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यरी ने यह चिट्ठी मिलने के बाद केंद्रीय कैबिनेट को जानकारी दी और कैबिनेट की सिपारिश पर राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की अनुमति दे दी। राज्यपाल के फैसले से नाखुश शिवसेना ने ताबड़तोड़ मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। हालांकि पार्टी को उस समय झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इन्कार कर दिया। इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई हो सकती है। शिवसेना ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को अपना वकील नियुक्त किया है। याचिका में कहा गया है कि शिवसेना के पास बहुमत है, लेकिन इसे साबित करने के लिए राज्यपाल ने पर्याप्त समय नहीं दिया।