मुंबई। नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इस तरह के निर्देश जारी करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआइ ने कहा है कि, इनके माध्यम से कंपनियों की नकदी की परेशानियां दूर होंगी जबकि आइएलएंडएफएस जैसे कर्ज को लेकर अनुभव की जाने वाली समस्याएं सामप्त हो जाएंगी। नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए नए प्रस्तावित दिशानिर्देश ऐसी कंपनियों को नकदी संकट से निपटने और आइएलएंडएफएस जैसे कर्ज संकट से बचने में मदद करेंगे। दूसरी ओर वॉलंटरी रिटेंशन रूट के अंतर्गत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए निवेश की सीमा 54,606.55 करोड़ रुपये तय कर दी। वीआरआर में एफपीआइ सरकारी प्रतिभूतियों और कॉरपोरेट बांड्स में फंड का निवेश कर सकते हैं। जिससे विकासीय योजनाओं के लिए फंड जुटाया जा सकता है। इसके अलावा आरबीआइ ने श्लिक्विडिटी रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क फॉर एनबीएफसी एंड कोर इन्वेस्टमेंट कंपनीज पर एक मसौदा सर्कुलर जारी किया है। जिससे डिपॉजिट लेने वाली सभी एनबीएफसी और डिपॉजिट नहीं लेने वाले 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाले शैडो बैंकों में क्रमबद्ध तरीके से लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो की व्यवस्था लागू होगी। इस हेतु भारतीय रिजर्व बैंक ने लिक्विडिटी रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क फॉर एनबीएफसी एंड कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी पर एक सर्कुलर जारी किया है।