देश में भारत निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता संदिग्ध हो गई है- पायलट

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जयपुर। शुक्रवार को सचिन पायलट ने जयपुर में एक प्रेसवार्ता कर मोदी सरकार और भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर ने पहले हेमंत करकरे पर उन्होंने कहा कि मेरे श्राप के कारण वो मरे। फिर सारी हदें पार कर जो गोडसे की प्रशंसा कर सकते हैं। भाजपा अपने आप को इतनी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी बोतली है। इतना भी उनमें कलेजा नहीं है। प्रियंका जी सही बोलती हैं कि 56 इंच की छाती है पर दिल नहीं है। दिल होता तो अपनो को कठघरे में खड़ा करने की हिम्मत होनी चाहिए। सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान में चुनाव 6 तारीख को संपन्न हो चुके हैं। पिछले कुछ दिनों के अंदर राजनीति का परिचय सत्ताधारी दल ने दिया है। जिससे देश में निराशा का महौल बना है। भोपाल भाजपा की प्रत्याक्षी प्रज्ञा ठाकुर का जो स्टेटमेंट आया है। देश के राष्ट्रपिता उनकी हत्या के 70 साल बाद भी अगर कोई भाजपा का नेता या उम्मीदवार उनको देश भक्त बोलती हैं। तो अपने आप में चौकाने वाला स्टेटमेंट हैं। मुझे आश्चर्य इस बात का हुआ। प्रज्ञा ठाकुर ने इस स्टेटमेंट के बाद में गोडसे की बढ़ाई की। जिस व्यक्ति ने इस देश के राष्ट्रपिता की हत्या की। ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रभक्त बताने का दुस्साहस किया है। ऐसे लोगों को किसी भी भाजपा के बड़े नेता ने न रोका न टोका ना ही बयान का खंडन किया। ना उनको पार्टी से बर्खास्त करने की बात कही। सिर्फ पार्टी उनके बयान से अलग हो जाए ये न काफी है। आगे पायलट बोले कि छह चरणों का अब तक जो फीडबैक आया है। उसमें भाजपा हर चरण में पिछड़ रही है। क्योंकि लगातार प्रधानमंत्री, अमित शाह और भाजपा नेताओं के जो बयान आ रहे हैं। उससे अंदाजा लग सकता है कि बौखलाहट उनके अंदर जगह बना चुकी है। दो दिन पहले में कोलकत्ता में था। वहां पर जो घटनाक्रम हुआ है। वो भी दिखाता है भाजपा जिन राज्यों में अधिक संख्या में जीतकर गई थी। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात इन सभी राज्यों में भारी नुकसान उन्हे हो रहा है। उत्तरप्रदेश में भी भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। इसलिए अपनी जगह तलाशने के लिए एक डेस्परेट अटैंपट उन्होंने बंगाल में किया है। उन्होंने कहा कि आयोग की ओर से जिस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं, उससे स्पष्ट हो गया है कि आयोग की निष्पक्षता संदिग्ध हो गई। मैं पहली बार आयोग के निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर रहा हूं। अमित शाह के रोड शो में जो हिंसा हुई उसके प्रमाण सब के पास हैं। कॉलेज कैंपस में विद्यासागर जी की मूर्ती को जिन लोगों ने तोड़ा है। उसकी भी जांच हो सकती है लेकिन जो तथ्य कोलकत्ता में सामने आए हैं। उसमें स्पष्ठ था कि उसमें भाजपा ने बंगाल और कोलकत्ता के बाहर से लोगों को लेकर आए थे। जिससे रोड शो में संख्या दिख सके। और वहां पर जो अंजाम किया गया। वो निंदनीय है। अशोभनिय है। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री का जो बयान आया। एक प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी बनती है कि कहीं पर कोई भी हिंसा करे उसे खासकर चुनाव के दौरान तो उस घटना की पूरी तरह निंदा होनी चाहिए। बजाय इसके उन्होंने जो तुलना की है। ममता बैनर्जी उनकी पार्टी और नेताओं की। कश्मीर के पत्थरबाजों से जो तुलना की। उन्होंने इस पूरी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण नहीं बताया। आप अंदाजा लगा सकते हैं। इतने बड़े पद पर आसीन लोग। देश के प्रधानमंत्री वो उन लोगों को जो भारत की सैनाओं पर पत्थर फेंकते हैं। जो अलगाववाद की बातें करते हैं। उनकी एक सीएम से तुलना कर रहे हैं। तृणमूल और भाजपा के खिलाफ हम भी चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक मतभेद होना स्वाभाविक है। इस प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग करना। खुले मन से बोलना कि 40 टीएमसी के विधायक उनके संपर्क में हैं। यह चुनाव आयोग के नियमों के बिल्कुल परे हैं।