अजरबेजान के बाकू और कतर के दोहा में होने वाले दो विश्व कप में अपना सौ फीसदी देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा है कि हर टूनार्मेंट मुश्किल होता है, लेकिन वह कभी भी दबाव महसूस नहीं करतीं। 14 मार्च से शुरू होने वाले टूनार्मेंट से पहले दीपा ने कहा मेरी ट्रेनिंग अच्छी चल रही है। मैं अगरतला में अभ्यास कर रही हूं। मैं वहां अच्छा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगी। दीपा के लिए हर टूनार्मेंट एक जैसा है। उन्होंने कहा श्खिलाड़ियों का प्रदर्शन या तो ऊपर जाता है या नीचे आता है। यह हमेशा से ऐसा रहा है। उदाहरण के तौर पर मैंने एशियाई खेलों में अच्छा नहीं किया था उसके जो भी कारण रहे हों बीते साल जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में दीपा को पांचवां स्थान मिला था।
खुद को भैंस और कोच को गधा कहे जाने से दुखी दीपा करमाकर ने लिया था यह प्रण उन्होंने कहा, लेकिन मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं है। मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ करना होगा। पहले मुझे अपने आप में संतुष्ट महसूस करना होगा। दीपा को दो साल तक चोट के कारण बाहर बैठना पड़ा था। 2017 में उन्होंने लिगामेंट सर्जरी कराई थी। इस पर दीपा ने कहा मैं उस दौरान अभ्यास नहीं कर पा रही थी एक खिलाड़ी के लिए मैदान से बाहर रहना काफी मुश्किल होता है। रियो ओलम्पिक-2016 में दीपा पदक से काफी करीब से चूक गईं थीं और तभी से उन्होंने देश में सुर्खियां बटोरीं। उन्होंने देश में जिम्नास्टिक को एक पहचान दिलाई। इसके बाद दीपा को कई सम्मान मिले। दीपा को बार्बी ब्रांड ने नौ मार्च को अपनी 60वीं वर्षगांठ पर तोहफे में एक बार्बी डॉल दी है। इस पर दीपा ने कहाए मैं इस सम्मान के लिए उनका शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। इसे पाकर मैं काफी खुश हूं। मुझे यह डॉल अच्छी लगी। अपने जीवन पर फिल्म के बारे में सवाल पूछने पर दीपा ने कहाए श्यह मेरे कोच बिस्वेश्वर नंदी सर ही जानते होंगे। अगर सर चाहते हैं कि मेरे जीवन पर फिल्म बने तो फिर ऐसा ह