रायपुर। प्रदेश की नई सरकार को प्रशासनिक कामों में गड़बड़ी के कारण दो-तीन बड़े झटके लगे, तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था से भरोसा उठ गया है। इस कारण उन्होंने सरकारी कामकाज की निगहबानी के लिए संगठन को मैदान में उतार दिया है। दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री ने आचार संहिता हटने से पहले ही पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव भी शुरू कर दिया है। आचार संहिता हटने के बाद न केवल मंत्रालय के कई अधिकारियों के विभाग बदले जाएंगे, बल्कि जिला स्तर पर कलेक्टर व एसपी से लेकर दूसरे विभागों के अधिकारियों को भी इधर से उधर किया जाएगा। सरकारी कामकाज में दिक्कतों के कारण अक्सर देखा जाता है कि सत्ता और संगठन में टकराव की स्थिति पैदा हो जाती है। प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में ऐसा कई बार हुआ, जब संगठन की नाराजगी अपनी ही सरकार के खिलाफ दिखी। अभी कांग्रेस और उसकी सरकार के लिए एक बात यह अच्छी है कि संगठन का मुखिया और मुख्यमंत्री एक ही व्यक्ति है। इस कारण बघेल के लिए सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाकर चलना कोई कठिन काम नहीं है। सत्ता संभालने के बाद बघेल को प्रशासनिक कामकाज में कुछ ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है कि उनके लिए अब सत्ता के साथ संगठन को जोड़कर चलना जरूरी हो गया है। मुख्यमंत्री बघेल ने पीसीसी अध्यक्ष होने के नाते संगठन को निर्देश दिया है कि अभी खरीफ फसल के मौसम में जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता गांवों का दौरा करें। किसानों से मिलें, यह जानकारी लें कि उन्हें अच्छे किस्म का खाद और बीज उपलब्ध कराया गया है या नहीं। कृषि ऋण को लेकर कोई दिक्कत तो नहीं है। पार्टी के पदाधिकारियों-कार्यकतार्ओं को यह निर्देश दिया गया है कि उन्हें कहीं भी किसानों के साथ कोई परेशानी दिखती है, तो उसकी सूचना तत्काल प्रदेश कार्यालय को दें। प्रदेश कमेटी सीधे मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री को रिपोर्ट देगी। कांग्रेस संगठन की निगरानी से प्रशासन पर दबाव बनेगा, क्योंकि अधिकारियों को पता होगा कि सत्ताधारी दल के नेता किसानों से सीधे मिलकर उनको मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी ले रहे हैं, तो प्रशासनिक अमले की कोशिश रहेगी कि कोई नकारात्मक रिपोर्ट ऊपर न जाए। सरकार को ऐसे झटके लगे- ट्रेजरी का सर्वर बंद होने के कारण सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को वेतन देने में देर हुई। चिप्स के सर्वर में तकनीकी खराबी आने के कारण पीईटी व पीपीएटी को स्थगित करना पड़ा। बिजली के मामले में सरप्लस स्टेट होने के बावजूद पॉवरकट होने के कारण विपक्ष ने घेरा। मुख्यमंत्री बघेल ने अब तक हुई प्रशासिनक कार्यों में हुई गड़बड़ियों के पीछे सुनियोजित साजिश की आशंका जता चुके हैं। उनका इशारा उन अधिकारियों की तरफ है, जो पूर्ववर्ती सरकार के करीबी माने जाते थे। सत्ता में आने से पहले बघेल ने कहा भी था कि कमल फूल छाप अधिकारी सुधर जाएं, वरना खुद तय कर लें, उन्हें कहां जाना है।